कालीमाटी महिलोंग हाथी कॉरिडोर के ग्रामीणों का हाथियों से गहरा रिश्ता है। ये मैं नहीं कहता ग्रामीण ही कहते हैं। दो दिन पूर्व जब मैंने कालीमाटी महिलोंग हाथी कॉरिडोर के धर्मपुर, चातमबारी एवं अन्य दो हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर रहा था, तब उन्होंने कहा हमने हाथियों के साथ जीना सिख लिया है। अब हमें हाथियों से डर नहीं लगता। हाँ ये अलग बात है हाथी हमारे फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं और कभी कभी लोगों की जान भी लेते हैं। लेकिन क्या किया जाये हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। हम अपना गाँव-घर छोड़ नहीं सकते और हाथी अपना जंगल नहीं छोड़ सकते। ऐसे में सामंजस्य बैठा कर ही जीवन यापन हो सकता है और वही कार्य हम कर रहें हैं।
ग्रामीणों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला @wildlifetrustofindia दवारा सौंपे गए जहरूकता कार्यक्रम की वजह से। हाथी सुरक्षा के लिए आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में सिल्ली के धर्मपुर, चाटमबारी, वरुणाटांड और केसरडीह से होकर गुजरने वाले कालीमाटी-महिलोंग हाथी कॉरिडोर के ग्रामीणों ने हाथी सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया एवं वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ झारखण्ड के तत्वावधान में सिल्ली के घाघ जंगल क्षेत्र में आयोजित एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम में ग्रामीणों ने उक्त संकल्प लिया।
वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ झारखण्ड द्वारा बताया गया कि हाथियों के गांव आने पर ग्रामीण हाथियों से उचित दूरी बनाकर रखें और उन्हें जंगल में जाकर हाथियों को परेशान ना करें। हाथियों के गांव आने पर लोगों को इसकी सूचना विभिन्न माध्यमों से दें और सभी को घर के अंदर रहने की सलाह दें। हाथियों को खदेड़ने के लिए समूह में जायें और हाथियों को बिना नुकसान पहुंचाएं उन्हें गांव से जंगल की और भगाने का प्रयास करें साथ ही मामले की जानकारी वन विभाग को अवश्य दें।
सोसाइटी के अखिलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि अगर ग्रामीण जागरूक हो गए तो हाथियों का एक कॉरिडोर से दूसरे कॉरिडोर जाना आसान हो जाएगा। हाथी बिना किसी बाधा के जंगलों में भ्रमण कर सकेंगे। हम वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मार्गदर्शन में विगत तीन वर्ष से हाथी मानव संघर्ष को कम करने की मुहिम में जुटे हैं। हमारा यह मुहिम आगे भी जारी रहेगा।