एक वर्ष में झारखंड में क्यों दोगुने आक्रमक हुए हाथी…

करीब आधा दर्जन हाथियों की करेंट से मौत और हत्या

हाथी मानव का संघर्ष रोकने के लिए गंभीर राज्य सरकार

झारखण्ड के हाल के वर्षों में हाथी मानव संघर्ष बढ़ गया है। इस संघर्ष में जहां एक ओर हाथियों की मौत और हत्या की जा रही है वहीं हाथियों के हमले में इंसान भी मारे जा रहें हैं। इसको लेकर राज्य और केंद्र सरकार गंभीर है। लेकिन फिलहाल इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। हाथियों के बढ़ते हमले और हाथी मानव संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से केन्द्रीय स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। मानव हाथी का संघर्ष रुके, प्रतिशोध की भावना से हाथियों के मारे जाने की घटना रुके, स्थानीय समुदायों को हाथियों के कारण हुई जानमाल की क्षति के लिए मुआवजा की राशि उपलब्ध कराई जाए, इस मामले में झारखण्ड सरकार पूरी तरह गंभीरता बरत रही है।

लगता है मेला, हाथियों से होती है छेड़छाड़

हाल के दिनों में राज्य के रांची स्थित सोनाहाटू, बुंडू, तमाड़, सिल्ली, सरायकेला खरसावां स्थित चांडिल आदि हाथी कॉरिडोर में हाथियों की उपस्थिति दर्ज की गई। हाथियों के जंगल या गांव के आसपास होने की सूचना पर गांव के लोग हाथी का आसपास मौजूद होकर हल्ला मचाते हैं, उन्हें पत्थर से मारते हैं। ये कार्य हाथी मानव संघर्ष को बढ़ावा दे रहें हैं। वहीं रात्रि के समय हाथियों के।झुंड को आग जलाकर एक गांव से दूसरे गांव की ओर खदेड़ा जाता है।

संवेदनशील होते हैं हाथी

हाथी जंगली जीवों में सबसे संवेदनशील होते हैं। मानव की तरह ही ये अपने परिवार के साथ रहना पसंद करते हैं। जब इनके आसपास अधिक संख्या में मानव की उपस्थिति रहती है, तो ये अपने परिवार के लिए खतरा का अनुभव करते हैं। ऐसे में हाथी मानव पर हमला करते हैं। साथ ही, हाथियों की यादाश्त बड़ी अच्छी होती है। वे मानव द्वारा किए गए व्यवहार को कभी नहीं भूलते है और मौका मिलते ही प्रतिशोध स्वरूप हमला कर उनकी जान ले लेते हैं।

लालची भी हो गए हैं हाथी

हाथी जंगल में पेड़ पौधों के पत्ते का सेवन कर अपना पेट भरते हैं। लेकिन कुछ वर्षों के दौरान इनकी दिलचस्पी मानव द्वारा खेती की जा रही सब्जियों में बढ़ी है। वे अक्सर इनके खेत में लगी फसलों को।नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति होती है। यदा कदा ये हाथी सरकारी स्कूलों में बच्चों के भोजन के लिए रखे गए चावल एवं ग्रामीणों के घरों में रखे धान का सेवन घर और स्कूल भवन को नुकसान पहुंचा कर करते हैं।

दो वर्ष 200 लोगों की मौत

विगत 2 वर्षों में जंगली हाथियों के उत्पात से झारखण्ड में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिसमें 2020-21 में 74 लोग और 2021-22 में 133 लोग हाथियों के हमले में अपनी जान गवाए हैं। इसके अतिरिक्त संपत्ति आदि की क्षति और मुआवजे के लिए 2020-21 में 591 लाख रूपये और 2021-22 में 485 लाख रूपये का भुगतान मुआवजा के रूप में किया गया है।

यह मिलता है मुआवजा

सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय मंत्री का सदन में जवाब केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने सदन में बताया कि देश में हाथियों को और उनके पर्यावरण की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए राज्य सरकारों की क्षतिपूर्ति योजनाओं के अलावा भारत सरकार भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं, हाथी परियोजना के तहत विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इन योजनाओं के तहत वन्य पशुओं द्वारा पहुंचाई गई क्षति में मुआवजे का प्रावधान है। मृत्यु या स्थाई अशक्तता की स्थिति में ₹5 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है। जबकि गंभीर चोट की स्थिति में ₹2 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। मामूली चोट आने पर उपचार की लागत प्रति व्यक्ति ₹25 हजार तक सरकार खर्च करती है। संपत्ति और फसलों को जो क्षति होती है, उसके लिए प्रदेश की सरकारें अपने निर्धारित दरों और लागत को देखते हुए मानदंडों का अनुपालन कर सकती

Leave a Comment

WPSJ LOGO
WPS Jharkhand

Donate
Address
Address